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सारांश

RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को K. B. Hedgewar द्वारा नागपुर में की गई थी ; 23 जुलाई 1955 को Dattopant Thengadi ने BMS (Bharatiya Mazdoor Sangh) की नींव रखी ; NOBW (National Organisation of Bank Workers) ने 1965 में BMS से संबद्धता ली और बैंकिंग क्षेत्रों के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व आरंभ किया ; BOBES (Bank of Baroda Employees Sangh) NOBW के तहत पंजीकृत ट्रेड यूनियन के रूप में बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारियों के वैधानिक एवं राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है . दूसरी ओर, AIBEA एवं AIBOA जैसे ट्रेड यूनियनों पर चीनी कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रभाव होने का आरोप है ; इन सबके परिप्रेक्ष्य में, BOBES जैसा राष्ट्रवादी, पारदर्शी और कर्मचारी-केंद्रित यूनियन अनिवार्य हो जाता है  RSS का संक्षिप्त इतिहास स्थापना और उद्देश्य: RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को के. बी. Hedgewar ने हिंदू एकता एवं चरित्र निर्माण के उद्देश्य से नागपुर में की . प्रारंभ में इसका मकसद अंग्रेज़ों के खिलाफ संगठित रूप से लड़ने के साथ-साथ हिंदू समाज में अनुशासन एवं आत्मविश्वास का संचार करना था . BMS: श्रमिकों का राष...
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70 वर्षों का बीएमएस : आरएसएस की भूमिका

भूमिका भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने अपने 70 वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है। यह केवल एक संगठन की यात्रा नहीं है, बल्कि भारतीय श्रमिक आंदोलन के एक स्वदेशी और वैचारिक रूप से समर्पित प्रयास की भी कहानी है। बीएमएस की स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारों से प्रेरित होकर हुई थी और इन सात दशकों में इसने मजदूरों के हितों की रक्षा करते हुए एक वैकल्पिक विचारधारा प्रस्तुत की है। --- बीएमएस की स्थापना 23 जुलाई 1955 को डॉक्टर दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने बीएमएस की स्थापना की थी। यह समय वह था जब श्रमिक आंदोलन पर वामपंथी विचारधारा का गहरा प्रभाव था। बीएमएस ने “राष्ट्र सर्वोपरि” के सिद्धांत को आधार बनाकर कार्य करना शुरू किया। उसका उद्देश्य केवल मजदूरों के आर्थिक हितों की रक्षा करना नहीं था, बल्कि राष्ट्र निर्माण में श्रमिकों की भागीदारी को भी सुनिश्चित करना था। --- बीएमएस का वैचारिक आधार बीएमएस की सोच “भारतीयता” पर आधारित रही है। यह वर्ग संघर्ष की बजाय वर्ग समन्वय में विश्वास करता है। यह विचार आरएसएस के दर्शन से ही उपजा है, जो समाज के सभी वर्गों को एक इकाई मानता है। बीएमएस का उद्देश्य यह नहीं ...